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Sunday 6 September 2015

कैलाश मानसरोवर यात्रा ---तेरहवाँ दिन-----तकलाकोट में

 

एक दिन तकलाकोट में
 
तकलाकोट की ऊँचाई लगभा 4050 मीटर

सुबह आराम से सोकर उठे। 8.00 बजे नाश्ता के लिये बुलाया गया। हम लोग नाश्ता के लिए डायनिंग हॉल में पहुंचे। जिस किसी को युआन की जरुरत थी सभी ने एक यात्री अनिरुद्ध भाई को बता दिया और अनिरुद्ध भाई हमारे गाइड गुरु के साथ बैंक में चले गए  युआन लेने।  नाश्ता कर के हम बाजार घूमने चल दिए।  सड़क के दोनो किनारे पर दुकाने बनी हुई है, सभी दुकानों में चीन भाषा में र्बोड लगे हुए है। सभी दैनिक वस्तुओं की दुकानो के अलावा मटन मांस/विदेशी शराब के दुकान भी देखने को मिली। छोटी छोटी दुकानें भी देखने को मिली जहां पर केवल चीनी सामान ही दिखें। वही पर हम एक स्टोर में गए।  वहां की दूकानदार तिब्बती थी।  वार्तालाप की प्रोबलम थी, वे न तो हिंदी जानतीं थीं और न अंग्रेजी और न हम चीनी भाषा। हम सामान उठाकर दिखाते और वो केल्कुलेटर पर अंक लिख देतीं,इतने युआन क़ीमत! हम बार्गेनिंग करते और केलकुलेटर पर अपनी पसंद के अंक लिख देते।  हम ने कुछ एनर्जी -ड्रिंक्स और फल खरीदे। हवा बहुत रूखी और तेज थी।  बाजार में हमें बैंक दिखा और हम बैंक में चले गए जहाँ अनिरुद्ध  और गुरु युआन ले रहे थे।  बाज़ार में ज़्यादा बड़े शॉरूम के अलावा छोटी दुकानें भी थीं। घूमते-घूमते हम काफ़ी दूर चले गए। आगे जाकर नेपाली मार्केट था, जहाँ जैकेट, स्वेटर, शॉल, स्कार्फ़ इत्यादि की दुकानें थीं। वे सामान खरीदने पर युआन के अलावा रुपए भी ले रहे थे। चीन में खाने का इंतजाम हमें अपना करना होता है  इस लिए फ़ूड कमेटी ने आनेवाले दिनों के लिए काफ़ी सारी सब्जी खरीदीं।

आगे की यात्रा के बाद हमें यहीं वापिस आना था। सो ज़रुरी सामान ही आगे ले जाने की सलाह देते हुए फालतू सामान को एक साथ एक बोरे में भरकर अपने दल का न० लिखकर गाइड को सौंपने को कहा। आगे के लिए पोनी और पोर्टर के लिये फाइनेंस कमेटी के पास युआन जमा करने को कहा गया। पोनी के लिए 1050 (10500 रुपए) युआन और पोर्टर के लिए 360 (3600 रुपए) युआन तय थे। मैंने सिर्फ पोनी  लेने का निर्णय लिया और युआन जमा करा दिए।
 
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान चीन सरकार द्वारा यात्रियों को रूकने की व्यवस्था, तथा खाना बनाने हेतु बर्तन व गैस सहित चुल्हा की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। भोजन सामग्री एवं रसोईया का इंतजाम यात्रियों को स्वयं करना होता है, इसलिए तकलाकोट से दो रसोईया का सामूहिक व्यय पर इंतजाम किया गया। दिल्ली से यात्रा में रवाना होने के पूर्व हम ने  यात्रियों के लिए 10 दिन का राशन सामग्री एवं दो बैग मेडिकल कीट दिल्ली के पंजीकृत संस्था कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति द्वारा प्रदाय किया गया था। 

तीर्थयात्रा के तिब्बत-प्रवास में चीन सरकार द्वारा तीर्थ यात्रियों को किसी भी प्रकार की मेडिकल सहायता प्रदान नहीं की जाती। ना ही तीर्थयात्रियों को वहां पर किसी पब और डिस्को में जाने की इजाजत होती है।  दिल्ली और गुंजी से ही डॉ. ने हमें संभावित परेशानियों को ध्यान में रखकर दवाइयाँ इत्यादि अन्य सामान रखने की सलाह दे दी थी। हम उन पर ही आश्रित थे। सच तो यह है कि हमें हमारे गाइड गुरु द्वारा इतना डरा दिया गया था कि मैं तो बाहर मार्किट की फोटो खीचते हुए भी डर रहा था। ऐसा डर था कि कही गलती से सरकारी इमारत की फोटो ना खीच जाये।  

शाम को हमने सामान पैक किया और रात्रि के भोजन के दौरान रघु जी ने (जो दूसरी बार यह यात्रा कर रहे हैं।) एक मैप बना कर हमें आगे की यात्रा के बारे में बताया। इस के बाद निद्रा की गोद में चले गये।
 
तकलाकोट के बारे में


तकलाकोट (Taklakot), जिसे  तिब्बती  में पुरंग (སྤུ་ཧྲེང་རྫོང་, Purang Town) और चीनी में बुरंग (普蘭鎮, Burang Town) कहते हैं, पुरंग तिब्बत का एक जिला है जो उस देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में भारत और नेपाल  की सीमा के साथ स्थित है। तिब्बत पर चीन  का क़ब्ज़ा होने के बाद यह चीनी प्रशासनिक प्रणाली में तिब्बत स्वशासित प्रदेश के न्यगारी विभाग में पड़ता है। पुरंग शहर को भारतीय और नेपाली लोग तकलाकोट के नाम से जानते आएँ हैं।यह भारत, तिब्बत और नेपाल  के बीच में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केन्द्र भी रहा है। कैलाश और मानसरोवर  के तीर्थों को जाते हुए हिन्दू और बौद्ध तीर्थयात्री अक्सर तकलाकोट से गुज़रकर जाते रहे हैं। लगभग 4050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह शहर कैलाश पर्वत से दक्षिण में घाघरा नदी (जिसे कर्णाली नदी और मापछु खमबाब के नामों से भी जाना जाता है) की घाटी में बसा हुआ है।  इस की आबादी 73000 के लगभग है।

 
अगले भाग में मानसरोवर लेक और कैलाश के प्रथम दर्शन होगें।



यह फोटो होटल में लगे फोटो फ्रेम से खीचीं गई है। 

होटल में जाने का रास्ता 



रघु जी, अभिषेक और मैं 


यह फोटो होटल में लगे फोटो फ्रेम से खीचीं गई है। 


यह फोटो होटल में लगे फोटो फ्रेम से खीचीं गई है। 

यह फोटो होटल में लगे फोटो फ्रेम से खीचीं गई है। 

रघु जी द्वारा मैप बना कर आगे के रास्ते के बारे बताते हुए 

फाइनेंस कमेटी युआन कलेक्ट करती हुई। 
 
 
 

1 comment:

  1. शानदार और यादगार चित्रों से आपकी ये यात्रा अविश्वसनीय हो गयी है ! क्या इतना चिढ़ता है चीन भारत से ?

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