कैलाश इस संसार का सबसे पवित्र पर्वत है। जहाँ हर साल हज़ारों की संख्या में भिक्षु,योगी,तीर्थ-यात्री कई तरह की मुश्किलों का सामना कर के इस पवित्र पर्वत के दर्शन करते हैं। मेरे ख्याल से ये दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्रा है। मैं सच में अपने आप को बहुत किस्मत वाला समझता हूँ जो मैंने इस यात्रा को भोले नाथ जी की कृपा से पूरा किया। इस पवित्र यात्रा को आसान से शब्दों में आप के सामने रख रहा हूँ।
कैलाश मानसरोवर यात्रा करने का दिल पिछले तीन चार सालों से कर रहा था,लेकिन हर बार आवेदन करते करते रह जाता या ये भी कह सकते हैं कि कोई न कोई अड़चन आ जाती इस वजह से आवेदन नहीं कर पाया। शायद भगवान भोले शंकर की तरफ से बुलावा नहीं आया था। कैलाश यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने और उसके प्रिंट निकालने की आखिरी तारीख 5 मार्च 2014 थी। लेकिन कैलाश यात्रा के लिए फरवरी में ऑनलाइन आवेदन कर ही दिया और ऑनलाइन आवेदन का फॉर्म तथा पासपोर्ट की कॉपी मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर के ऑफिस दिल्ली में स्पीड पोस्ट कर दी गई। आवेदन के बाद अब इन्तजार था ड्रा का। अप्रैल में eligible यात्रियों की लिस्ट आ गई। जिस में 2500 यात्रियों के नाम थे। उस लिस्ट में अपना नाम देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। लेकिन अभी तो सिलेक्टेड यात्रियों की लिस्ट आनी बाकी थी।
इस साल कुल 18 बैच जाने थे और हर बैच में 60 यात्रियों का सिलेक्शन होना था यानि 1080 यात्री ही जा सकते थे। आखिर वो दिन भी आ गया जिस दिन रिजल्ट आना था। भगवान भोले शंकर का ध्यान कर के रिजल्ट देखने लगा। जब अपना नाम पांचवे बैच में देखा तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा ऐसा लग रहा था जैसे भोलेनाथ ने सब कुछ दे दिया। मैंने घर में सब को बताया तो सभी बहुत खुश हुए। रिजल्ट निकलने के बाद तय समय तक विदेश मंत्रालय को अपने स्वीकृति पत्र के साथ पांच हजार का ड्राफ्ट भेजना होता है, जो मैंने निश्चित समयावधि में स्वीकृति-पत्र के साथ भेज दिया। (जो लोग यह ड्राफ़्ट निश्चित समयावधि में नहीं भेजते हैं उनकी यात्रा हेतु अस्वीकृति मान ली जाती है)
यात्रा 8 जून 2014 को शुरू होनी थी और हमारे 5th बैच के यात्रियों को 24 जून को दिल्ली रिपोर्ट करना था। यहाँ पर एक अड़चन आ गई थी। 25 जून के करीब घर पर भागवत के पाठ का प्रोग्राम बन रहा था। मैंने अपना बैच 5th से 1st में करने की कोशिश की। लेकिन हो ना सका। बाद में भागवत का प्रोग्राम आगे कर दिया गया। अच्छा हुआ मेरा बैच 5th ही रहा इस 5th बैच का क्या महत्ब था मुझे बाद में पता चला जो मैं बाद में आप को बताउगां।
अब यात्रा की तैयारी शुरू करने का समय था। सब से पहले सुबह शाम सैर शुरू की गई। शुरू के 70 मिनट में 5 km walk ही कर पाया, लेकिन एक महीने में यही 5 km 35 से लेकर 40 मिनट में कवर होने शुरू हो गए। इस के साथ ही हर रोज 18 km ऑफिस का आने जाने का रास्ता साइकिल से शुरू किया गया। साथ साथ विदेश मंत्रालय द्वारा भेजी गई लिस्ट के हिसाब से सामान इकट्ठा करना शुरू कर दिया। दिल्ली जाने के 20 दिन पहले मैंने अपने दोस्त संदीप भाई जो की दिल्ली में रहते हैं और ब्लॉग भी लिखते है उनसे अपनी तैयारी के विषय में बात की तो उन्होंने मुझे बताया की अब कंधे पर कम से कम 5 kg का बैग उठा कर तेज चलने का अभ्यास करो। अब बैग उठा कर चलने का अभ्यास भी शुरू कर दिया गया।
अब यात्रा की तैयारी शुरू करने का समय था। सब से पहले सुबह शाम सैर शुरू की गई। शुरू के 70 मिनट में 5 km walk ही कर पाया, लेकिन एक महीने में यही 5 km 35 से लेकर 40 मिनट में कवर होने शुरू हो गए। इस के साथ ही हर रोज 18 km ऑफिस का आने जाने का रास्ता साइकिल से शुरू किया गया। साथ साथ विदेश मंत्रालय द्वारा भेजी गई लिस्ट के हिसाब से सामान इकट्ठा करना शुरू कर दिया। दिल्ली जाने के 20 दिन पहले मैंने अपने दोस्त संदीप भाई जो की दिल्ली में रहते हैं और ब्लॉग भी लिखते है उनसे अपनी तैयारी के विषय में बात की तो उन्होंने मुझे बताया की अब कंधे पर कम से कम 5 kg का बैग उठा कर तेज चलने का अभ्यास करो। अब बैग उठा कर चलने का अभ्यास भी शुरू कर दिया गया।
मैं 22 जून को दिल्ली अपनी बहन के पास पहुँच गया और जो थोड़ा बहुत सामान रह गया था वो दिल्ली में ही ख़रीदा गया। अन्य स्थानों से आए सभी कैलाश-मानसरोवर यात्रियों को कुमाऊँ-मंडल और दिल्ली सरकार गुजराती-समाज सदन में ठहराते हैं। आखिर में 24 जून 2014 को शाम को दिल्ली में गुजराती समाज सदन में रिपोर्ट किया गया। वहां दूसरी मंजिल पर अपना सामान डोरमैट्री रूम में रखा दूसरे कमरे में उदय कौशिक जी (चेयरमैन - दिल्ली सरकार तीर्थ यात्रा विकास समिति ) यात्रियों को यात्रा का महत्व बता रहे थे और धर्म ज्ञान दे रहे थे। मैं भी उस धर्म ज्ञान में सम्मलित हो गया। आखिर में हमें बताया गया कि कल को हमारा मेडिकल टेस्ट है और सुबह हमें जल्दी तैयार रहना है। वही पर राम चंदर मित्तल जी से मुलाकात हुई जो कि चंडीगढ़ से थे। उन से यहाँ आने से पहले फ़ोन पर बात हुई थी। तब हमें खाने के लिए कैंटीन के बारे बताया गया। खाना बहुत ही अच्छा था। रात का खाना खाने के बाद सब अपने अपने बेड पर सोने चले गया। रात को एक अंकल के खर्राटों के कारण मैं रात को सो नहीं पाया।
अगले दिन 25th जून को यात्रीगणो को सुबह कुमाऊँ-मंडल द्वारा बस से दिल्ली हार्ट & लंग इंस्टीट्यूट मेडिकल टेस्ट के लिए लाया गया । यहीं पर पहली बार अपने सहयात्रियों से मेरा परिचय हुआ। अस्पताल के युवा कर्मचारी बड़ी मृदु-वाणी में सौहार्द्रपूर्ण ढंग से यात्रियों के नाम पुकार कर बुला रहे थे। सभी को पहचान हेतु एक रीबन बांधने को दिया गया था।
एक ओर अस्पताल के कर्मचारी एक फार्म भरवा रहे थे जिसमें हमारी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भरनी थी और साथ ही 3100 रुपए मेडिकल टेस्ट की फीस भी जमा करनी थी तो दूसरी ओर कुमाऊँ-मंडल के अधिकारी हमारे पासपोर्ट और Chinese वीज़ा-शुल्क 2400 रुपए एकत्र कर रहे थे। यही पर मेरी मुलाकात विजय कोचर जी से हुई जो फरीदाबाद से थे। उन से मेरी फ़ोन पर एक दो बार फ़ोन पर बातचीत हुई थी। उन के साथ वीरेंदर वर्माजी थे।
अस्पताल में मूत्र और रक्त की जाँच के अलावा ई.सी.जी., ट्रेडमिल टेस्ट जैसी जाँच भी हुईं। इन सारे टेस्ट में काफी समय बीत गया और सुबह से खली पेट होने के कारण भूख भी लग रही थी। अस्पताल की केंटीन में टोकन लेकर नाश्ते की व्यवस्था थी। चाय-सेंडविच इत्यादि। भूखे हो तो कुछ बुरा नहीं लगता। वैसे नाश्ता अच्छा था। :-)
खाना खाने के बाद कॉनफ़्रेंस रूम में डाक्टरों ने संबोधित किया। पर्वतारोहण के समय होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से सावधानी बरतने और रोग-संबंधी जानकारी दी। जो दवाइयाँ अपने साथ ले जानी थी उनकी जानकारी दी। कुछ पावर-पाइंट प्रस्तुति भी दी। शाम को सभी तीर्थयात्री बस में बैठकर गुजरात समाज सदन में चले गए लेकिन मैंने वहां जाने की जगह मैं अपनी बहन के घर चला गया।
इस यात्रा को आरम्भ से पढने के लिये यहाँ क्लिक करे
गुजरात सेवा भवन मे हमारा पूजा स्थल |
मेडिकल टेस्ट के लिए इंतजार करते हुए |
रात को एक अंकल के खर्राटों के कारण मैं रात को सो नहीं पाया। और भूखे हो तो कुछ बुरा नहीं लगता। दोनों बाते मस्त रही। एक बार गोवा ट्रेकिंग में कर्नाटक के एक बन्दे ने अपने खर्राटों से सबका सोना हराम कर दिया था।
ReplyDeleteThanks Sandeep Bhai for your Great Support
ReplyDeleteइस यात्रा में आये कुल खर्च का ब्यौरा भी दीजियेगा !!
ReplyDeleteyeh hui na baat, isko kahatey hain blog... well written. Don't miss even a single event and incident. Also, delhi weather will be very humid during this time. It's only here we get AC, throughout the yathra. After that har har mahadev :).
ReplyDeleteBahut badiya starting hai sushil g.........
ReplyDeleteShandaar prastuti,Shandaar jankari.Blog ki shuruwat ke liye hardik badhai shushil Bhai.
ReplyDeleteजरूर विधान भाई मेरी कोशिश रहेगी कि मैं एक एक बात की जानकारी आप लोगों को दूँ और
ReplyDeleteविधान जी, सतविंदर जी , रुपेश जी, ब्लॉग को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
bhai aap par bhole nath ke kripa ho gaye jai bhole nath
ReplyDeleteab to agle part ka intzar rahega
agar bhole ne bulaya to ek baar kailash mansarover ke yatra karne hai
ye bhi ek sapna hai mera
पावन यात्रा पूरी करने की बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया प्रकाश जी
ReplyDeleteजय भोले शंकर की ! आगे की यात्रा में आपके साथ बने रहूँगा !
ReplyDeleteहर बार नया पेज खुलता है भाई बहुत अच्छा वर्णन किया है कैलाश यात्रा का
ReplyDeleteसुशील भाई इस भाग के बाद अगला भाग नहीं खुल रहा कहीं से कैसे आएगा अगला भाग
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