अगले दिन सुबह मदनगीर में भा०ति०सी०पु० के अस्पताल में बुलाया गया था। अगली सुबह मेट्रो से मैं गुजरात समाज भवन पहुँच गया और वहां से हमें बस से भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अस्पताल ले जाया गया। हमें पहली मंजिल पर एक हाल में बिठाया गया। जहाँ पर बड़ी और लंबी मेज के चारों ओर कुर्सियाँ लगीं थीं। वहीँ पर हमारे एल०ओ० साहब Mr. Rajinder Kataria भी आ गए। वहां पर यात्रियों के छोटे-छोटे समूह बना दिए गए थे और अलग-अलग कमरों में डॉक्टर्स एक-एक को बुलाकर कुछ जाँच के साथ-साथ कल की जाँच-रिपोर्टों के आधार पर अंतिम रिपोर्ट दे रहे थे। मन में कुछ घबराहट सी महसूस हो रही थी कि पता नहीं रिपोर्ट में क्या आएगा। बाद में महसूस हुआ सभी का यही हाल है। कुछ देर बाद रिपोर्ट के लिए मेरा नंबर आया। डॉक्टर साहब ने मेरी रिपोर्ट देखी और ओके कर दिया। मेडिकल टेस्ट में पास होने से बहुत ख़ुशी हुई और उसी समय भगवान को नमन किया।
वहीँ पर भटिंडा की प्राइवेट सेवा-संस्था की ओर से भोजन का आयोजन था। वे बड़े आदर से स्वयं हाथों से खाना परोस रहे थे। उस संस्था ने यात्रियों को एक-एक बैल्ट-पाउच भी भेंट किए।
इस के साथ ही कैलाशी गुलशन भाई की तरफ से हमें यात्रा में काम आने वाले सामान एक छोटा बैग एवं उनकी यात्रा की संस्मरण पत्रिका आशीर्वाद स्वरूप मिली, जो यात्रा के समय में काफी उपयोगी रही।
धीरे-धीरे सभी लोग हाल में एकत्र हो गए। अभी भी कई यात्रियों की रिपोर्ट आनी बाकी थीं। एल०ओ० साहिब ने सभी को शुभकामनाएँ दी और यात्रा के लिए अलग अलग कमेटियाँ बनाई गई। जैसे luggage कमेटी ,finance कमेटी, food कमेटी (जो तिब्बत में भोजन के प्रबंध के लिए बनाई गई थी।), alarm कमेटी ( ये कमेटी यात्रियों को सुबह जल्दी उठाने के काम के लिए थी। ) इत्यादि। मैंने अपनी ड्यूटी luggage कमेटी मे लगवाई।
यही पर सब यात्रियों से 2000 रूपए एकत्रित किये गए। इन से राशन का सामान खरीदना था जो तिब्बत ले कर जाना था क्योंकि तिब्बत में खाने पीने का प्रबंध बैच को खुद करना पड़ता है।
चूँकि कुछ यात्रियों की मेडिकल-रिपोर्ट अभी भी आनी शेष थी इसलिए सभी यात्री उसी कक्ष में बैठे उनका इंतजार कर रहे थे। ऐसे करते-करते सभी यात्रियों की रिपोर्ट्स मिल गयीं। हमारे बैच में से 9 यात्रियों को चिकित्सीय-जाँच में अयोग्य पाया गया। उस समय यह निश्चित हो गया कि हमारे बैच में केवल 51 यात्री ही जाएँगे।
तभी वहाँ लाइट चली गई। अब हम सब यात्री नीचे पार्क में आ कर बैठ गए। यही पार्क में बैठ कर food कमेटी समान की लिस्ट तैयार करने लग गई जो हमें दिल्ली से खरीदना था और उस समान को शाम को दो - तीन यात्रिओं के सहयोग से लाया गया। यहीं पर एक और संस्था ने हमें सम्मानित किया और सभी को stick दिया।
जो यात्री सेलेक्ट नहीं हुए थे उनमे बहुत ही निराशा थी। एक यात्री जो अनफिट थे और हमारे साथ नहीं जा रहे थे वो तो इतना निराश थे और कह रहे थे कि आज के बाद वो कभी भगवान का जाप नहीं करेंगे और ना ही कभी मंदिर जाऊंगा। इस तरह ख़ुशी और निराशा का संगम एक साथ देखने को मिला।
सभी यात्री बस में बैठकर गुजराती-समाज की ओर चल पड़े। कल विदेश-मंत्रालय के भवन में जाना था। घर आकर सभी नजदीकी लोगों को अपनी यात्रा के पक्के होने की सूचना दी। अपने परिवार और आसपास के लोगों में मैं ही श्री कैलाशधाम के दर्शन करने जाने वाला पहला तीर्थयात्री था।
वहां से मैं सिस्टर के घर चला गया। घर आ कर सामान की पैकिंग करने लगा जोकि एक बहुत बड़ा चुनौती भरा कार्य था। दो बैग कपड़ों के तैयार किये गए। एक बैग कपड़ो का इंडिया के लिए और दूसरा बैग कपड़ों का तिब्बत के लिए। रात को मेरी एड़ियों में बहुत दर्द होने लगा। ये दर्द काफी दिनों से था। लेकिन आज कुछ ज्यादा ही हो रहा था। मन में एक शंका हुई क्या ये यात्रा इस दर्द के साथ पूरी हो पायेगी? रात को मैं डॉक्टर के पास गया उसे सब कुछ बताया गया यात्रा के बारे में तो उस ने मुझे कुछ medicine दी।
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हॉल में दिनेश बंसल जी के साथ |
एक सेवा संस्था द्वारा हमें सम्मानित करते हुए। |
कमेटियों का चयन करते हुए एल.ओ साहिब |
Starting bht badia hai...........
ReplyDeleteSir aap bht late update krte ho
यात्रा के इस लेख में दिये गये गुजरात भवन के पास ही दिल्ली के उपराज्यपाल का निवास भी है।
ReplyDeleteबहुत ही काम की जानकारी भी देते जा रहे हैं आप अपनी पोस्ट में ! शुरुआत बहुत सुखद है , अनंत शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteहर हर महादेव
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