गुंजी हाई-एल्टीट्यूड में आता है। यहाँ पर हवा का दबाव शरीर को प्रभावित करता है। आगे की यात्रा में ऊचाई क्रमशः बढ़ती जाती है। इसलिए गुंजी में पुनः मेडिकल चेक-अप किया जाता है, इसलिए यात्रीगण यहीं रूकते हैं।
रोज़ की तरह नींद 4 बजे खुल गयी, परन्तु मै आराम से उठा, नित्य कर्मा और स्नान पूजा के बाद 7 बजे तक तैयार हो गया। आज गर्म पानी में नहाकर तृप्ति हुई।
लगभग आठ बजे सब अपनी-अपनी मेडिकल-फ़ाइल के साथ आकर खड़े हो गए। ’ऊँ नमः शिवाय’ के साथ सभी मंदिर में शीश झुकाते हुए आईटीबीपी के कैंप के प्रांगण में पहुँच गए जहाँ पहले से ही पूरा प्रबंध था।
कुछ देर बाद आईटीबीपी के मेडिकल ऑफिसर एवं कमान्डेट आए सभी से परिचय प्राप्त कर आगे के यात्रा में आने वाली कठिनाई, समस्या एवं उसके हल करने के उपाय बताए। जिन यात्रियों के द्वारा पोनी पोर्टर की सुविधाएं नही ली गई उनसे कहा गया कि दोनों नही तो कम से कम एक सुविधा अवश्य ही ले भले ही वे उसका उपयोग न करे। यात्रियों को अकेले न चलकर समूह में चलने की सलाह दी गई। फोटोग्राफी करते समय इस बात का ध्यान रखें कि सेना के कैम्प चाहे वो भारत के हो या चीन के हो फोटो न ले, इस के इलावा इंडिया साइड की जितनी फोटो ली हैं उस का मेमोरी कार्ड भी ना ले जाने की सलाह दी गई।
पर्यावरण की देखभाल के अंतर्गत उनकी बटालियन ने वहाँ एक ’मानसरोवर-वन की स्थापना की है जहाँ कैलाश-मानसरोवर जाने वाले सभी यात्रियों से एक-एक देवदार का पौधा रोपवाया जाता है। फावड़े से पथरीली ज़मीन खोदकर देवदार का पौधा लगाया और पानी दिया। जवानों से उसकी रक्षा का वचन लिया। ये बाद की बात है सर्दियों में ये पौधे नष्ट हो जाते हैं।
वापस आ कर हम सभी लोग मेडिकल के लिए अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे। तत्पश्चात सभी यात्रियों का वजन एवं ब्लड प्रेशर चेक किया गया, तथा दिल्ली में कराए गए मेडिकल चेकअप की रिपोर्ट देखी गयी। डॉ. ने मेरी रिपोर्ट्स देखीं, ब्लड-प्रैशर हार्ट-बीट इत्यादि चैक की। एक बात और डॉक्टर सभी यात्रीगणों के साथ बड़े ही दोस्ताना माहौल में मेडिकल चेकउप कर रहे थे। जिस से यात्रीगणों में मेडिकल का जो डर था वो दूर हो गया। यहाँ तक आते आते मेरा वजन 4 किलो कम हो गया था। मेडिकल चेकअप कराकर वापस कैम्प में आये। मौसम एकदम साफ होने व तेज धूप निकलने की वजह से कैम्प आकर सभी यात्री अपना लगेज खोलकर धूप में सामान एवं कपड़ों को सूखने डाल दिये। मैंने अपना लगेज खोलने पर पाया कि बारिश का पानी अंदर जाने से कुछ गीलापन हो गया है। मैंने भी अपना दोनो लगेज खोलकर धूप में पूरा फैला दिया। 12 बजे खबर आयी कि 1 यात्री मेडिकल में अनफिट हो गए अब उन्हें वापिस दिल्ली जाना होगा। 1.30 बजे सभी यात्रियों के साथ मैंने भी भोजन ग्रहण किया। भोजन के बाद आराम किया गया।
शाम को घर फोन किया फिर बाहर खड़े सहयात्रियों से बातें करने लगा । कुछ यात्री इधर-उधर टहलते हुए और प्रकृति के नजारे ले रहे थे। तभी मैं और रघु जी गुंजी गाँव घूमने चले गए। इतनी ऊंचाई पर स्टेट बैंक पटियाला बैंक की ब्रांच देख कर मैं बहुत हैरान था।
अभी फिर से बैग पैक करने थे अब हमें अपने बैग तकलाकोट में (चीन साइड) मिलने थे। ज़रूरी सामान निकल कर फिर बैग पैक किये। अब तक (गुंजी तक) जो भी कपडे पहने थे वो सभी कपडे एक बैग में रख दिए। अब ये बैग यही गूंजी में छोड़ा जायेगा।
शाम छः बजे सूप पिया और यात्रीगण कीर्तन-आरती में सम्मिलित होने चले गए।मंदिर कैंप से लगभग सौ-डेढ़ सौ मीटर के फ़ासले पर था। एक छोटा कमरा जिसके अंदर बिल्कुल सामने एक कोठरी मे मूर्तियाँ लगायी हुईं थी।
मंदिर में कुछ जवान और कुछ सहयात्री पहले से ही बैठे थे। हम भी बैठ गए। एक जवान अंदर मूर्तियों के पास पूजा और आरती की तैयारी कर रहा था। जवानों ने ढोलक, मंजीरे, चिमटे और हारमोनियम पर तान छेड़कर बहुत सुंदर भजन सुनाए तो तीर्थयात्रियों ने तालियाँ बजाकर उनका साथ दिया। इस के बाद यात्रियों में नीलम जी, वीरेंदर वर्मा जी ने बहुत ही सुन्दर भजन गाये। नीलम जी की आवाज बहुत ही प्यारी और मीठी थी और वर्मा जी एक धार्मिक इंसान हैं और भक्ति ज्ञान का भण्डार उन में कूट कूट कर भरा हुआ है। सुनसान पर्वतों के बीच भक्ति का ऐसा समां बंधा कि कब नौ बज गए पता ही न चला। पूरा मंदिर भरा हुआ था। समापन भगवान शिव और दुर्गा माता की आरती से हुआ। सभी आरती और प्रसाद लेकर वापिस कैंप आगए।
मंदिर में कुछ जवान और कुछ सहयात्री पहले से ही बैठे थे। हम भी बैठ गए। एक जवान अंदर मूर्तियों के पास पूजा और आरती की तैयारी कर रहा था। जवानों ने ढोलक, मंजीरे, चिमटे और हारमोनियम पर तान छेड़कर बहुत सुंदर भजन सुनाए तो तीर्थयात्रियों ने तालियाँ बजाकर उनका साथ दिया। इस के बाद यात्रियों में नीलम जी, वीरेंदर वर्मा जी ने बहुत ही सुन्दर भजन गाये। नीलम जी की आवाज बहुत ही प्यारी और मीठी थी और वर्मा जी एक धार्मिक इंसान हैं और भक्ति ज्ञान का भण्डार उन में कूट कूट कर भरा हुआ है। सुनसान पर्वतों के बीच भक्ति का ऐसा समां बंधा कि कब नौ बज गए पता ही न चला। पूरा मंदिर भरा हुआ था। समापन भगवान शिव और दुर्गा माता की आरती से हुआ। सभी आरती और प्रसाद लेकर वापिस कैंप आगए।
आते ही सीधे सभी भोजन-कक्ष की ओर चले गए। भोजन कक्ष में एलओ ने मींटिंग रखी। उसके बाद अगले दिन की यात्रा के विषय में बताया। हमने भोजन किया और कल नवींढांग जाने के लिए बिस्तर पर पसर गए।
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गुंजी कैंप से सुबह अन्नपूर्णा चोटी का दृश्य |
गुंजी कैंप |
जवानों द्वारा चाय की पेशकश |
पौधा लगाने जा रहे यात्रीगण |
पौधा लगाते हुए छैना राम जी, मैं, अंजू जी, नीलम जी |
मेडिकल टैस्ट के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुए यात्रीगण |
कैंप से हेलीकाप्टर की फोटो ली गई |
कपडे धोते हुए |
शाम को गुंजी गाँव से ली गई फोटो |
मंदिर के अंदर |
सुन्दर विवरण और फोटो तो अति सुन्दर !!
ReplyDeleteशुक्रिया विधान भाई।
ReplyDeleteBhai aap ke saath yatra kr k bht anaand aa hai chalte chlo
ReplyDeleteसतविंदर भाई मुझे भी आप के साथ द्वारा से यात्रा कर के बहुत मजा आ रहा है।
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